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बढ़ता आबादी घनत्व ओर घटता वन क्षेत्र कौन दोषी /अधिकारी या नेता अपनी बदहाली की ओर बढ़ता देवास जिले का वन क्षेत्र

देवास जिले के क्षेत्रफल मे सबसे ज्यादा वन क्षेत्र कभी हुआ करता था लेकिन लकड़ी माफिया, लेंड माफिया के सक्रिय होने के कारण व अधिकारी, राजनेताओं के संवरक्षण के कारण वन्य प्राणियों के लिए जगह छोटी जा रही

सरकार को यहाँ पर पदस्थ रहे अधिकारियो व दोषी राजनेताओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए नही तो न तो जंगल बचेंगे न ही वन्य जीव ओर यह प्रकृति का असंतुलन हमारी जीवन प्रणाली को हानि पहुंचाएगा 






देवास जिले में अस्सी के दसक और आज की तुलना की जाए तो अस्सी के दसक के मुक़ाबले दस प्रतिशत ही वन आज देवास में शेष बचे हैं उन पर भी गिद्ध की तरह वन माफिया और राजनेताओं की कूदृष्टि से आने वाले कल में केवल इतिहास के पन्नौ में ही कभी भी देखने मे मिल सकती है 

 देवास जिला वन वाहूल्य जिला दर्शाया जायैगा जहां सभी प्रकार के जानवर से लेकर मनुष्य के जीवन की अमृतघुटी का भंडार रहा था। हाल ही में स्थानीय वन अधिकारियों ने वनों को बचाने का जो पाप किया उस पर चली गंदी सोच के राजनेताओं ने आम जनमानस के सामने जो निष्कर्ष दिया वह बड़ा शर्मनाक ही नही इंसान की जिंदगी के साथ नाइंसाफी होगी।

 एक तरफ यह राजनेताओं के इर्द-गिर्द दृष्टि डाली जाए तो जिले का समूचा वन माफिया इनके आसपास दिखेगा जो हर दिन जंगल का विनाश कर रहे हैं। यही अधिकारी जो यहां तैनात हैं इनके मोबाईल खंगाल ले तो राजनेताओं का असली चेहरा सामने आ जायेगा जिसमें सहाब यह अपनी पार्टी का है पकड़ी सांगवान लावारिस में बताकर जप्ती कर छोड़ दो कि कहानी सामने आयेगी।

 इन राजनेताओं के इशारे में वनों के विनाश का तांडव चलता रहा आधे से ज्यादा राजनेता निगल गये बचा जंगल बांगड़ ही खेत खा गई  जो अधिकारी यहां तैनात रहे जब राजनेता ही जंगल काटने को प्रोत्साहित कर रहे हैं तो यह कैसे पीछे रहते उन्होंने भी इन राजनेताओं की कृपादृष्टि से दिन दूना रात चौगुना माल लूटा और आज मालामाल बनकर सराफत कि जिंदगी गुजार रहे हैं। हाल ही मैं बागली रेंज का जिनवानी मामला मिडिया में सामने आया हो या खातेगांव वन परिक्षेत्र के विगत माहोल में उजागर मामले सभी में जांच कर लें इमानदारी से तो सच सामने आ जायेगा। पिछले दस सालों से जिले में विभिन्न स्थानों पर तैनात रहे एस डी ओ श्री शंकरलाल यादव का झाबुआ स्थानांतरण हुआ मिडिया प्लेटफार्म पर उन्होंने लिखा कि मेरा स्थानांतरण झाबुआ हुआ है मैं जा रहा हूं आपका जो सहयोग मिला उसका आभार,

मतलब सीधा नेता के लिए था कि आपने आपके सहयोगी ने मेरे रहते माल कमाया और इनके साथ मैरा भी आपने उद्धार किया उसका धन्यवाद ? एक छोटा सा उदाहरण देखिए देवास जिले में आज करीब दो हजार मिडिया कर्मी है इनमें से आधे को भी राष्ट्रीय पर्व पर राष्ट्रीय इनाम के रूप में एक हजार वन विभाग देता है तो कितनी राशि देना पड़ती है गुणा कर लिजिए । क्या यह राशि अधिकारी जेब से देगा उसकी साल भर कि वेतन कि राशि भी इतना नहीं होगी? 

दुसरा पार्टी के साल भर में दस से अधिक सार्वजनिक कार्यक्रम में चंदा वह भी हजारों में लिया जाता होगा यह सब राशि देने नहीं निकला अधिकारी अगर ईमानदारी करें तो बच्चे भूखे मर जाए आखिर यह राशि का समायोजन तो करेगा दुसरी बात आज जो राजनीति चल रही है वह जो अधिकारी नेताजी की चप्पल उठायेगा वहीं उनके क्षैत्र में नौकरी करेगा का फार्मूला चल रहा है 

अर्थात अधिकारी की नियुक्ति शासन नहीं नेता करता है तो निश्चित है कुछ तो है? वन विभाग में हर साल वन सुरक्षा से लेकर पौध रोपण तक करोड़ों रुपए दिए गये उन रूपयो का कितना सद उपयोग हुआ थोड़ा धरातल पर आकर सरकार जांचकर ले तो दुध का दुध और पानी सामने आ जायेगा बड़ी मुश्किल से दिया धन‌ का दस प्रतिशत भी नहीं सही मायनों में खर्च हुआ अगर इसकी जांच सरकार करा लें तो जिम्मेदार अधिकारी सड़क पर आ जायेगा और दोषी हुआ तो जेल अलग मुनाफे में मिलेगी।

 देवास जिले को राज्य सरकार से सन 2023/2024/2025 के अंतर्गत दिया गया धन की ही जांच कर लें तो स्पष्ट हो जायेगा। माननीय मुख्यमंत्री अगर संवेदनशील है तो   उनकी नजर में वन अधिकारी दोषी हे तो साथ में यह भी जांच कराने का आदेश दे कि देवास जिले में तैनात वन अधिकारियों ने कौन कौन‌का कितना चंदा दिया? साथ ही देवास जिले के वन सौंदर्यीकरण और स्थापना के नाम पर दिए धन का उपयोग कैसे हुआ? इनकी जांच कराने का आदेश वह भी संयुक्त विभागों की टीम या रिटायर न्यायाधीश  से कराना चाहिए तो हमारी बात की सत्यता सामने होगी। 



खिवनी अभ्यारण का विनाश कर जानबूझकर घर के मकान होते हुए भी अतिक्रमण करना वनों का विनाश करना यह सब इसी सरकार के रेकार्ड में दर्ज के बाद उन पर अंकुश लगाना गुनाह है तो निश्चित रूप से यह सरकार वनों की सुरक्षा जीव जंतु की सुरक्षा नहीं विनाश की सरकार है । जो गलत उध्देश्य के साथ आने वाले कल के लिए घातक सिद्ध होगा। खिवनी अभ्यारण मामले की न्यायिक जांच की जाना चाहिए और उसमें जो भी दोषी है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होना चाहिए नहीं तो कल‌ वनो का विवरण कागजों पर ही देखने को मिलेगा।