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कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने खेतों पर पहुंचकर किया सोयाबीन फसल में बीमारी का निदान

 कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने खेतों पर पहुंचकर किया सोयाबीन फसल में बीमारी का निदान




देवास, 02 जुलाई 2025/ कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने ग्राम पटलावदा, मुंडका, मेंढकी धाकड में कृषि विभाग एवं सोयाबीन खेतों का निरीक्षण कर कृषकों को सुझाव दिए। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस. भार्गव ने बताया कि लगातार बदलते मौसम और असमान वर्षा से सोयाबीन का उत्पादन कम होता जा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में ग्राम पटलावदा के कृषकगण टिंकू चौधरी, जितेन्द्र सिंह, उदयसिंह, धर्मेन्द्र सिंह एवं अन्य कृषकों ने सोयाबीन फसल संबंधी अपनी समस्‍याएं रखीं। रोग का कारण एवं नियंत्रण पर वैज्ञानिक सलाह देते हुए डॉ भार्गव ने किसानों को बताया कि सोयाबीन के पौधों के सूखने का प्रमुख कारण आर्द्र गलन रोग है, जो नमी अधिक रहने और जलभराव की स्थिति में तेजी से फैलता है। यह रोग पौधे की जडों और तने के आधार पर असर डालकर उसे मुरझा देता है, जिससे पौधे धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। उन्होंने कहा कि इस रोग के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तत्काल उपचार करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि मौसम अनूकूल रहता है और अच्छी वर्षा होती है तो प्राकृतिक रूप से भी इस रोग का प्रकोप कम होने लगता है।


क्षेत्र में भ्रमण के दौरान किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के सहायक संचालक कृषि श्री लोकेश गंगराडे ने सभी किसानों को सलाह दी कि कृषक बीज, कीटनाशक एवं उर्वरक के लाइसेंसधारी विक्रेताओं से ही कृषि आदान सामग्री क्रय करें। सामग्री लेते समय कीटनाशक दवा का पक्का बील अवश्य प्राप्त कर लें। इस मौके पर विकासखण्डस देवास के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री राहुल कुमार जायसवाल, कृषि विस्ताकर अधिकारी सुश्री बूदी डुडवे फसल बीमा कंपनी के प्रतिनिधि श्री राजेश उपस्थित थे।