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देवास रजिस्टॉर कार्यालय मे नही होता बिना रिश्वत के काम जिस अधिकारी की जाँच हो रही वहीं अब सर्विस देने वालों से होता है सीधा लेनदेन

 पंजीयन कार्यालय में भ्रष्टाचार  चरम  सीमा पर  ? तबादले के बाद भी पद पर जमी अधिकारी, अब रजिस्ट्री धारकों से नहीं, स्टांप वेंडरों से होती है 'डील'  !


देवास। जिले के पंजीयन कार्यालय में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहराई तक फैल चुकी हैं कि अब खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिला पंजीयक मंजुलता पटेल पर रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगे हैं, जिनकी जांच देवास कलेक्टर द्वारा की जा रही है। बावजूद इसके, उनका स्थानांतरण रतलाम हो जाने के बाद भी वे अब तक देवास में अपने पद पर बनी हुई हैं, जिससे साफ है कि कहीं न कहीं से उन्हें संरक्षण प्राप्त है।


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब कार्यालय में रजिस्ट्री कराने आने वाले आम लोगों से सीधे बातचीत तक नहीं की जाती। अधिकारी और कर्मचारी सीधे स्टांप वेंडरों से संपर्क करते हैं और वहीं से 'डील' तय होती है। यानी रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि उसके दस्तावेजों के पीछे कैसी सेटिंग पहले से चल रही है। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शिता और नियमों के खिलाफ है और इसमें रिश्वत का लेन-देन भी साफ झलकता है।


इस पूरे मामले से संबंधित कई वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें साफ तौर पर पैसों के आदान-प्रदान के दृश्य देखे जा सकते हैं। इन फुटेजों को स्थानीय लोगों और समाचार माध्यमों ने सुरक्षित रखा है। इतना ही नहीं, इसी कार्यालय की एक क्लर्क सुचित्रा श्रीवत्सव ने इंदौर जैसे बड़े शहर में मलाईदार पद पर तबादला करवाने में भी सफलता पा ली, जो अपने आप में इस विभाग में चल रही अंदरूनी सेटिंग का बड़ा प्रमाण है।


प्रदेश सरकार के तबादला आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए यदि कोई अधिकारी तबादले के बाद भी पद पर जमा हुआ है, तो यह प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह पूरा मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पंजीयन विभाग में फैले उस पूरे भ्रष्ट तंत्र का आईना है, जो वर्षों से बिना डर के फलता-फूलता रहा है।


जनता की मांग है कि इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, दोषियों को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि जनता का प्रशासन और व्यवस्था पर भरोसा बना रह सके।