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आतंक के ठिकानो को मिट्टी मे मिलाया जो कहा वो किया भारत सरकार ने

 आतंक के खिलाफ भारत किया जीत और इस जीत का श्रेय भारत कि तीनो सेनाओं को भारत सरकार ने दिया ओर होना भी यही चाहिए जो लोग आज देश किया सरकार से जवाब मांग रहे हैं उन्हें अपने गिरहबान मे भी देख लेना चाहिए

1948 के युद्ध मे सेना जीती लेकिन हम हार गये 

1965 की लड़ाई सेना ने जीती ताशकण्ड मे हम हार गये 

1971 मे सेना जीती लेकिन हम हार गये  ओर पाकिस्तान के दो टुकड़े जो किये गये थे उसका खामियाजा हम 5 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों  को आज भी पल रहे हैं 

1948 से लेकर 1971 तक देश मे एक ही पार्टी का पुरे देश मे राज था ओर कोई विपक्ष नहीं था ओर जो भी विपक्षी नेता थे उनसे सरकार समय दाम दंड भेद से निपटती थी 

ओर सत्ता के 1948 से लेकर 1971 तक देश कि तीनो सेनाओं ने अपना काम बखूबी निभाया लेकिन देश किया लीडर शिप ने ये मोके गवा दिए किस कारण इस बात का जवाब आज देश की विपक्षी पार्टी नहीं देना चाहती 

देश मे विपक्ष ओर दूसरे देश चाहते थे की भारत एक पूर्ण युद्ध मे फ़स जाये ताकि विश्व की वह तीसरी बड़ी अर्थ व्यवस्था न बन सके 

रही बात अमेरिका के राष्ट्रपति की तो वे गाजा, यूक्रेन  ओर रूस ओर इजराइल को भी अपना संदेश सुना चुके थे लेकिन उन्होंने भी उनकी बात नहीं मानी उनका बड़बोला पन खुद अमेरिका मे ही नहीं माना जाता हैं 

मुख्य मुद्दा यह था की भारत अपने यहाँ हुवे आतंकी हमलों का बदला लेना चाहता था जो की उसने लिया भी लेकिन ज़ब सरगोधा एयर बेस पर हमला किया तो उस बेस कि केराना पहाड़ी मे पाकिस्तान के परमाणु हथियार रखे गये थे इससे घबराकर पाकिस्तान ने अमेरिका से सीजफ़ायर कर वाने को कहा ओर अमेरिका को कहा किया हम आगे से ऐसा नहीं करेंगे ओर भारत ने भी कहा की यदि यह गलती दोबारा की गयीं तो हम नहीं छोड़ेंगे

अपने देश मे राष्ट्र के मुद्दे पर भी विपक्ष राजनीति करने से बाज नहीं आता। देशहित में सोचने वालों की कमी है। यहां राजनीति करवा लो। अरे प्रधानमंत्री मोदी और गोदी मीडिया को कोसने वालों को यह ध्यान देना चाहिए कि वर्तमान सरकार ने भारत का मान बढ़ाया है। कब तक इंदिरा जी के नाम पर रोटी सेंकते रहोगे। इसमें कोई शक नहीं कि इंदिरा गांधी ने भी देश का मान बढ़ाया था, उसके बाद अब वर्तमान सरकार है, जिसने पाकिस्तान को सीधे जवाब दिया है... वरना मनमोहन सरकार में देखी है देश की दशा... 

1 - 29 अक्टूबर 2005 दिल्ली बम धमाके तीन जगह सीरियल बम ब्लास्ट- 60 से ज्यादा लोग मारे गए। लश्करे तैयबा की करतूत। 

2-  जवाबी कार्रवाई: भारत की मनमोहन सरकार ने कूटनीतिक दबाव के सिवा कुछ नहीं किया। कोई सैन्य कार्रवाई नहीं कर पाई सरकार। 

3 - 11 जुलाई 2006 घटना: मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 धमाके हुए, जिनमें करीब 209 लोग मारे गए।

4 - जवाबी कार्रवाई: भारत ने पाकिस्तान से शांति वार्ता स्थगित की। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों पर कूटनीतिक दबाव डाला गया। लेकिन कोई सैन्य कार्रवाई नहीं कि गई। 

5 - 2008 मुंबई हमला (26/11)

 घटना: 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई पर हमला किया। 166 लोग मारे गए, जिनमें विदेशी नागरिक भी थे।

जवाबी कार्रवाई:

भारत ने पाकिस्तान को सबूतों के साथ दोषी ठहराया।

अजमल कसाब (जीवित पकड़ा गया आतंकवादी) को फांसी दी गई।

भारत ने पाकिस्तान के साथ वार्ता स्थगित की और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की निंदा करवाई।


लेकिन भारत सरकार ने किसी भी प्रकार की कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की। 

अन्य घटनाएं व गतिविधियां:

संसद पर हमला (2001) का प्रभाव मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी रहा — भारत-पाक संबंधों में लगातार तनाव बना रहा।

सीमा पर घुसपैठ और संघर्षविराम उल्लंघन आम बात बनी रही।मनमोहन सिंह सरकार ने कूटनीति को प्राथमिकता दी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की निंदा करवाई।

भारत ने फिर से  बातचीत का दौर शुरू किया, पर 26/11 के बाद उसे रोकना पड़ा।


इस दौरान भारत ने आतंकी हमलों के बावजूद सीमित सैन्य प्रतिक्रिया दी, पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के ज़रिए पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की थी।