फिलहाल, भारत मोदी सरकार को किसी भी सैन्य कार्रवाई या पाकिस्तान पर हमला करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति ऐसी है कि उसको हर कोई नही समझ सकता आज पहलगाम हमले के 13 दिनों के बाद भी देश मे ही नही अपितु विदेशों में भी मोदीजी के द्वारा बदला लेने की बात को लेकर सभी असमंजस में है लेकिन देश की कूटनीति ने पाकिस्तान को धरातल दिखा दिया है
साथ ही देश मे मौजूद विपक्षी पार्टियों ने भी सर्वदलीय बैठक में सरकार के साथ खड़े होने की बात कही है लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के कुछ नेताओं के द्वारा बार बार सरकार व सेनाओं की क़ाबलियत पर उंगली उठाने से ये सभी देश की जनता के सामने आ गए हैं और उनकी असलियत भी ये लोग देश की आपदा में भी अवसर प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं
पहलगाम हमला विदेशी शक्तियों द्वारा भारत के खिलाफ एक बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है जो नहीं चाहते कि भारत एक आर्थिक और वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभरे।
मुझे नहीं लगता कि हमारी सेना या सरकार में मजबूत जवाब देने की शक्ति की कमी है।
न ही मैं उनका मनोबल गिराने की कोशिश कर रहा हूँ।
1. किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान विदेशी ताकतों ने भारत में गृह युद्ध को भड़काने के लिए किसानों और सरकार के बीच अवांछित संघर्ष पैदा करने की कोशिश की। सरकार ने इसे धैर्यपूर्वक संभाला, कुछ मांगों को स्वीकार किया और जाल से बच गई।
2. सीएए विरोध प्रदर्शन (शाहीन बाग और दिल्ली दंगे) के दौरान विदेशी ताकतों ने फिर से नागरिक अशांति भड़काने की कोशिश की। मोदी की टीम ने स्थिति को समझदारी से संभाला और साजिश को सफल होने से रोका।
3. मणिपुर में एक साल तक देश विरोधी ताकतों ने भारत को गृह युद्ध में उकसाने की कोशिश की। भले ही उन्होंने इस मुद्दे को संसद में घसीटा, लेकिन सरकार ने बिना गोली चलाए इसे सुलझा लिया।
4. छह महीने तक बांग्लादेश में हिंदुओं की सामूहिक हत्याएं भारत को युद्ध में भड़काने के लिए हो रही थीं। हालांकि, सरकार ने साजिश को समझा और आवश्यक कार्रवाई करते हुए जाल से बच गई।
याद रखें तब भी, हम में से कई लोग पूछ रहे थे, मोदी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं
अब, वर्तमान स्तिथि को समझें भारत को पाकिस्तान के साथ, बांग्लादेश, चीन व देश के कई राज्यों बंगाल, असम,उत्तरप्रदेश, पंजाब, केरल, कर्नाटक, झारखण्ड, तेलंगाना, राजस्थान व अन्य प्रदेशो मे मौजूद देश के दुश्मनो से भी निपटना पड़ेगा
1. दो सप्ताह पहले, अमेरिका ने पाकिस्तान को 400 मिलियन डॉलर की सहायता दी।
2. 15 दिन पहले, पाकिस्तान के पीएम और सेना प्रमुख ने सऊदी अरब का दौरा किया - क्यों?
3. एक महीने पहले, हमास के नेता और शीर्ष पाकिस्तानी आतंकवादी पीओके में मिले।
4. तीन दिन पहले, पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने हिंदुओं और मोदी के खिलाफ खुलेआम जहर उगला।
अब पहलगाम हमला आता है।
इस घटना पर थोड़ा सा विचार करना जरूरी हे
लंबे समय के बाद, आतंकवादियों ने नागरिकों, विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाया
हिंदू-मुस्लिम तनाव को भड़काने और भारत में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा करने के लिए।
आतंकवादियों ने खुलेआम कहा अपने मोदी से कहो कि हम हिंदुओं को मार रहे हैं।
उन्होंने सेना या पुलिस को निशाना क्यों नहीं बनाया सीधे मोदी का नाम क्यों लिया
साफ़ है, इसका उद्देश्य हिंदू भावनाओं को ठेस पहुँचाना, भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ भड़काना और भारत को युद्ध के लिए उकसाना था।
हमले के समय
अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत की यात्रा पर थे।
मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे।
3.राहुल गाँधी ने एक सप्ताह पहले अमेरिका का दौरा किया।
आदेश और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए भविष्य के भाषणों और कार्यों से पता चलेगा।
अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस और यू.के. सभी ने भारत से कहा
आप जो भी कार्रवाई करेंगे, हम उसका समर्थन करेंगे।
मतलब वो चाहते हैं कि भारत अपनी बढ़ती शक्ति को कमज़ोर करने के लिए युद्ध करे।
ध्यान दें कि कैसे सभी विपक्षी दल, जिन्होंने पहले बालाकोट हमलों के दौरान सबूत की मांग की थी, अब कहते हैं
हम मोदी की किसी भी कार्रवाई का समर्थन करते हैं।
ये चाहते हैं कि मोदी युद्ध करें, विफल हों और फिर वे सत्ता हथिया लें।
पाकिस्तान भी धमकी देता है कि पानी का प्रवाह रोकना युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखा जाएगा - जिससे भारत संघर्ष में उलझ जाएगा।
विदेशी शक्तियाँ, भारत की विपक्षी पार्टियाँ और यहाँ तक कि पाकिस्तान भी चाहता है कि भारत युद्ध में उतर जाए।
उनका अंतिम लक्ष्य भारत को आंतरिक रूप से कमज़ोर करना, भारत के वैश्विक उत्थान को रोकना और हमें 100 साल की गुलामी में वापस धकेलना।
स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत ने चेतावनी दी थी कि भारत के भीतर एक "हाफ़-फ़्रंट" उभर आया है लेकिन बंगलादेश मे हुवे सत्तापरिवर्तन से जोकि अब पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आय एस आय की देखरेख मे मोहम्मद यूनुस सरकार चला रहे हे वो पाकिस्तान ओर चीन की शह पर चल रही हे साथ ही नेपाल मे भी सरकार के विरुद्ध वहाँ के नागरिकों का विरोध चल रहा हे
शायद इसीलिए सरकार अपनी पूर्ण तैयारी के साथ जो भी कार्यवाही करनी हे उसकी तैयारी कर रही हे
देश के भीतर गद्दार विदेशी ताकतों के साथ काम कर रहे हैं।
ये वही तत्व हैं जो किसानों के विरोध प्रदर्शन, सीएए दंगों और सांप्रदायिक हिंसा के पीछे हैं।
अगर मोदी युद्ध में शामिल होते हैं, तो ये ताकतें आंतरिक हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़काएँगी, गृहयुद्ध की स्थिति पैदा करेंगी और भारत के विकास को रोकेंगी।
भारतीय सेना पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन से एक साथ लड़ने में सक्षम है।
लेकिन एक आंतरिक गृहयुद्ध उनके हाथ बाँध देगा।
और यही तो भारत विरोधी ताकतें चाहती हैं।
भारतीय नागरिकों को इस समय बहुत ही सयंम से व बहुत ही सतर्कता बरतने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय मे जो पिछली सरकारों ने नही किया था उस कार्य को मोदीजी की सरकार ने देश हित मे पूरा किया है देश की सीमाओं पर रोड व देश मे इन्फ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछाकर देश के सैनिकों को तुरंत ही सीमाओँ पर तुरंत ही भेजा जा सकता है
यहाँ पर यह भी बात गौर करने लायक है कि जब देश की संसद पर हमला हुआ था किंतु पूर्ववर्त्ती सरकारों के द्वारा देश की सेनाओं के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट भी नही थी ओर जब पाकिस्तान पर आक्रमण करने के लिए 5 लाख सैनिको को सीमा पर भेजा जाना था उसके लिए हमारे पास कोई संसाथन नही थे तो हमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट से मदद लेनी पड़ी थी लेकिन फिर भी निर्धारित समय में हम अपने सैनिकों को समय पर सीमाओँ पर नही भेज पाए थे
लेकिन जब चीन के साथ गलवान की झड़प हुई थी तो हमारी सरकार ने तुरंत ही चीन के सामने अपनी सेनाओं को तुरंत ही सीमाओँ पर भेज दिया था जिससे कारण चीन के साथ काफी लंबे समय तक हमारा टकराव चला था अभी पिछले साल ही दोनों देशों में आपसी तालमेल से टकराव को सुलझा लिया गया है
हमें, नागरिकों को, युद्ध के लिए अनावश्यक दबाव नहीं बनाना चाहिए।
हमें विदेशी मीडिया के दुष्प्रचार में नहीं पड़ना चाहिए।
हमें मोदी और सरकार पर भरोसा करना चाहिए कि वे सही समय पर कार्रवाई करेंगे।
उन्हें पता है कि क्या रणनीति अपनानी है।
युद्ध के बिना भी, भारत पाकिस्तान को परेशान कर सकता है - जैसे, पानी की आपूर्ति बंद करके।
अगर आपको इस खबर में कोई सच्चाई लगे, तो कृपा कर भारत के खिलाफ़ हो रही इस साजिश के बारे में इसे फैलाएँ।