देवास मीडिया में खबर आने के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग दौड़े चले नेमावर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
जबकि स्वास्थ्य विभाग में रोगी कल्याण समिति, कायाकल्प योजना व अन्य योजनाए राज्य सरकार की गरीबों के लिए चलाती है ऐसे में ऐसी घटना का होना गम्भीर सवाल खड़े करता है
प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनिल तिवारी ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेमावर में ओपीडी पर्ची के रूपये नही होने पर बच्ची का उपचार नही करने की जानकारी को संज्ञान में आने पर बुधवार को पीएचसी नेमावर का निरीक्षण किया।
प्रभारी सीएमएचओ डाॅॅ.तिवारी ने बताया कि सोशल मीडिया और न्यूज के माध्यम से संज्ञान में आया की नेमावर के सरकारी अस्पताल में गरीब आदिवासी महिला के पास 5 रूपये नही थे तो ,आग में जुलसी बेटी के संग मां को बेरंग लौटना पड़ा, जबकी गरीब आदिवासी वर्ग का निःशुल्क उपचार किया जाता है।
प्रभारी सीएमएचओ डाॅॅ.तिवारी ने बताया कि नेमावर की घटना को तत्काल संज्ञान में लेकर बीएमओ खातेगांव और अन्य अधिकारियों सहित घटना की जांच की पीड़ित महिला और पदस्थ चिकित्सक सहित स्टॉफ और घटना के समय अस्पताल में उपस्थित लोगों, मीडिया प्रतिनिधियों से जानकारी ली। वास्तविक जानकारी के अनुसार को नेमावर निवासी 19 वर्षीय बालिका अपनी डेढ़ वर्षीय भतीजी को लेकर 11 बजे उपचार के लिए अस्पताल पहुंची काउंटर पर स्वयं की ओर भतीजी की पर्ची बनवाई निर्धारित ओपीडी शुल्क की राशि मांगी गई ,स्टाफ द्वारा बताया गया की आपकी पर्ची फ्री वाली नही है बताने के दौरान स्टॉफ से बहस हुई उनके बाद बिना इलाज कराए अस्पताल से चली गई। जबकि उस दिन संस्था में 55 मरीज आए और नियमानुसार 34 मरीजों की फ्री वाली पर्ची बनाकर उपचार किया। जांच के दौरान चिकित्सक और स्टॉफ को निर्देश दिए की संस्था में आने वाले सभी मरीजों से इलाज किया जाना अनिवार्य है शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का निः शुल्क लाभ दिया जावे और संस्था में उचित स्थान पर जानकारी बोर्ड लगाकर डिस्प्ले करे। पीड़िता द्वारा बिना इलाज के लोटने की घटना व्यवहारिक नही इश्लिए पदस्थ चिकित्सक और स्टॉफ को चेतावनी नोटिस जारी किया।

